वृद्धा अवस्था

वृद्धा अवस्था

हां मैं सभी अवस्थाओं की तरह ,
एक अवस्था हूं ।

बाल्यावस्था , युवावस्था, प्रौढ़ावस्था,
हां मैं वृद्धावस्था हूं।

जर्जर सी काया लेकर ,
इधर-उधर में फिरता हूं ।

हाथ पैर सब निष्क्रिय रहते ,
काम ज्यादा नहीं मैं करता हूं ।

अनुभव का होता पास मेरे,
 सदा बहुत ही खान ।

इस काया पर तू भी ना,
 करना कभी अभिमान ।

वक्त बदलते ही बदले है ,
यह तो अपना रूप ।

जैसे आती जाती है ,
जीवन में ये धूप ।

कभी यौवन सा महके ये,
कभी बच्चों सा चहके ये।

और कभी जिम्मेदारी से ,
प्रौढ़ अवस्था पकड़े ये।

हां आज मैं वृद्धावस्था हूं ,
सब जिम्मेदारियों से गुजरा हूं।

देखे कोई सूरत मेरी तो ,
नहीं किसी को भाया हूं ।

अंतर्मन में झांक के देखो,
 प्यार मोहब्बत लाया हूं ।

हां मैं वृद्धावस्था हूं ,
बच्चे सा है हृदय ये मेरा ।

कभी तो इसको छूना तुम,
 नहीं आ सका काम तुम्हारे।

 बोझ नहीं पर समझना तुम,
अपने हर अनुभव को मैं ।

संग तुम्हारे बाटुगा,
 ठेस लगे तुमको कोई तो ,
उससे पहले डालूंगा।

 प्रेम बहुत करता हूं तुमसे ,
पर जताने का है ढंग अलग। 

दूंगा ही मैं तुमको कुछ ,
रख सको संग अगर ।

हां मैं वृद्धा अवस्था हूं ,
अब अंतिम पड़ाव पर बैठा हूं।

चंद सांसे गिनता हूं अपनी ,
बात सभी की सुनता हूं ।

दौर बहुत बदला है जल्दी ,
फिर भी मैं बताता हूं ।

तुम सा बच्चा मैं भी था ,
यह बात तुम्हें समझाता हूं ।

आज पूर्ण कर जिम्मेदारी अपनी,
 अभी-अभी मैं उबरा हूं ।

हां मैं वृद्धा अवस्था हूं, 
सारे मौसम से गुजरा हूं ।

हां मैं वृद्धावस्था हूं ,
सारे मौसम से गुजरा हूं।।

9/3/22💐💐💐12:31pm

©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल☯️

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Mar-2022 04:11 PM

बहुत खूबसूरत

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